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श्रीमद् भागवत कथा सुनने से मनुष्य भवसागर से पार होता है- त्रिलोक कृष्ण मुरारी

मां दुर्गा मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अतिंम दिवस के मौके पर  नगर विकास राज्य मंत्री महेश चंद गुप्ता ने कथा मे पहुचकर  आचार्य  त्रिलोक कृष्ण मुरारी जी से आशीर्वाद प्राप्त किया  मंदिर समिति ने  नगर विकास राज्यमंत्री का माला व पटका पहनाकर स्वागत किया ।


 श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन कथा वाचक आचार्य  त्रिलोक कृष्ण मुरारी ने कहा एक बार भगवान पर भी कलंक लग गया था  भगवान ने चौथ का चंद्रमा देख लिया था तो भगवान  मणि की खोज में निकले जामवंत जी से युद्ध कर कर जामवंत जी के वचन को पूरा किया और भगवान ने उनकी पुत्री से विवाह किया भगवान ने अनेकों अनेक लीलाएं की और अपने मित्र सुदामा को गले लगा कर उनका स्वागत किया 
भागवत के श्रवण करने से हमको पता चला कि भागवत कथा सुनने वाले को कभी फल की कामना नहीं करनी चाहिए और फल से फल नही मागा जाता है  श्री मद भागवत कथा स्वयं एक फल है क्योंकि कमाई हुई वस्तु खर्च  हो जाती है अपने किसी वस्तु को कमाया तो खर्च तो होगी ,लेकिन भक्ति खर्चा नहीं होती है बल्कि प्रतिदिन बढ़ती ही जाती है, बड़े सौभाग्यशाली हैं वह लोग जिनको श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने को मिलती है भागवत के अंत में पता चला कि इस कलयुग में श्रीमद्भागवत ही एक ऐसा ग्रंथ है कि जिसके श्रवण करने से और भगवान के नाम मात्र से  मनुष्य इस भाव सागर पार हो जाता है इसलिए जितना हो सके भगवन का नाम लेना ही चाहिए ।
 आज के कार्यक्रम में नगर विकास राज्य मंत्री महेश चंद गुप्ता, राजेंद्र मथुरिया, पूर्व सभासद नन्हे लाल कश्यप ,मंदिर समिति के अध्यक्ष राजाराम ,सचिव पुनीत कश्यप ,हिमांशु कश्यप, योगेंद्र सागर, एडवोकेट चेतना , आरती कश्यप ,श्रुति कश्यप, छाया कश्यप ,

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