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सुबह-सुबह सैर पर न निकलें दिल के रोगी, सर्दियों में सबसे ज्‍यादा आते हैं हार्ट अटैक

साभार- डॉ उमेश चंद्र गौड़ (होम्योपैथी चिकित्सक, आर्यसमाज चौक-बदायूँ)

सर्दियों का मौसम आते ही अपनी सुंदरता का ख्याल रखने के लिए लोग क्या-क्या जतन नहीं करते लेकिन अक्सर शरीर के सबसे ज्यादा कामकाजी अंग दिल के लिए बढ़ने वाले जोखिम को अनदेखा कर दिया जाता है। यह ध्यान रखना चाहिए कि दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें दिल के रोग के कारण ही होती हैं और सर्दियां सिर्फ ठिठुरन नहीं लाती बल्कि सबसे ज्यादा हार्ट अटैक का जोखिम भी लाती हैं ।हार्ट अटैक आजकल एक साधारण सी स्थिति बन गई है जो हमारे दिल को न सिर्फ गंभीर तरीके से चोट पहुंचा सकती हैं बल्कि हमारी मौत का कारण भी बन सकती है। जब हमारे दिल की मांसपेशियों में खून के नैचुरल फ्लो में रुकावट पैदा हो जाती है तब हार्ट अटैक पड़ सकता है।हार्ट अटैक किसी भी सीजन में और कभी आ सकता है। हालांकि यह गौर किया गया है कि हार्ट अटैक के ज्यादातर मामले सर्दियों के दिनों में आते हैं। लेकिन ऐसा क्यों है कि सर्दियों के सीजन में हार्ट अटैक के मामले बढ़ जाते हैं और आप इस ठंड में अपने शरीर के सबसे जरूरी अंग को सुरक्षित व सेहतमंद रखने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं।
आखिर सर्दियों का सीजन क्यों बन जाता है हार्ट अटैक का सीजन?
यह सही है कि सर्दियों का सीजन हार्ट अटैक का सीजन है क्योंकि इस सीजन में हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार कारक ज्यादा घातक हो जाते हैं। मसलन, सर्दियों के इस सीजन में बैरोमेट्रिक प्रेशर, आद्रता, हवा और ठंडा तापमान ऐसे कारक हैं जो शरीर पर अपना एक अलग प्रभाव छोड़ते हैं।इस कारण हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाता है। मिसाल के तौर पर जाड़ों के महीनों में शरीर को गर्म रखने के लिए नर्वस सिस्टम की गतिविधि काफी बढ़ जाती है। रक्त धमनियां सिकुड़ जाती हैं और खून में गाढ़ापन बढ़ जाता है। यह सभी कारक ब्लड प्रेशर पर अपना नकारात्मक प्रभाव छोड़ते हैं जो कि हार्ट अटैक के आने का प्रमुख कारक बन जाता है।

कुछ ऐसे उपाय जिनसे जिससे कम होगा हार्ट अटैक का खतरा
​ऐसे रख सकते हैं सर्दियों के दिनों में अपने दिल को तंदरुस्त
गर्म कपड़े हैं सेफ्टी गार्ड : सर्दियों के दिनों में हमें शरीर को गर्म रखने वाले कपड़ों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। जब हमारा शरीर ठंडा होता है तो नर्वस सिस्टम की एक्टिविटी बढ़ जाती हैं और जो ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है। यह हमारे रक्त को भी गाढ़ा बना सकता है। हमेशा ध्यान रखिए कि आपका पहनावा मौसम के हिसाब से होना चाहिए।

​असहज स्थिति पैदा करने वाले चीजों को छोड़िए :
यदि आप बाहर हैं और असहज महसूस कर रहे हैं तो आप तत्काल भीतर आएं और अपने आप को सहज महसूस करने की कोशिश करें। उसी समय आप उन कपड़ों को न पहनें जिन्हें शरीर से अलग करना कठिनाई भरा हो और जो आपको असहज बनाते हों।

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​व्यायाम से आराम :
किसी भी हालत में व्यायाम को न छोड़िए। खासतौर से दिल को तंदरुस्त रखने वाले कार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज जैसे साइक्लिंग, ब्रिस्क वाकिंग, रनिंग, जॉगिंग को अपनाएं। अपने रूटीन पर टिके रहिए और रोजाना व्यायाम करते रहिए चाहे बाहर ठंड ही क्यों न हो।

शराब है खराब :
सर्दियों के समय में ज्यादातर त्यौहार और छुट्टियों के मौके बनते हैं, ऐसे में सार्वजनिक स्थानों पर शराब आपको आसानी से ऑफर हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि शराब शरीर को गर्म रखती है तो एक बहाने के तौर पर भी शराब का सेवन अधिक हो सकता है, जो कि दिल की सेहत के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है। इसलिए सर्दियों में जब हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा हो तो शराब का अत्यधिक सेवन घातक हो सकता है।
​सुबह जल्‍दी सैर पर न निकलें
वे लोग जिन्‍हें पहले भी एक बार हार्ट अटैक आ चुका है, उन्‍हें सुबह बिस्‍तर से जल्‍दी नहीं निकलना चाहिए। इससे ठंड के कारण नसें सिकुड़ जाती हैं और सर्दी में बाहर आने की वजह से शरीर को खुद को गर्म रखने के लिए ज्‍यादा मेहनत करनी पड़ती है। इस दौरान हमारे दिल को ज्‍यादा काम करना पड़ता है।

नमक का सेवन कम करें
नमक खाने से शरीर में पानी रुक जाता है और इससे शरीर में सूजन पैदा हो जाती है। ऐसे में हमारे दिल पर उस पानी को शरीर में पंप करने का जोर पड़ने लगता है। दिल पर ज्‍यादा मेहनत पड़ने पर हार्ट अटैक आ सकता है।

धमनियों में ब्‍लड सर्कुलेशन कम होना है एथेरोस्क्लेरोसिस, जानिए इसके लक्षण, कारण और इलाज

एथेरोस्क्लेरोसिस एक बीमारी है, जिसमें आपकी धमनियों के अंदर ‘प्लाक’ जमने लगता है। धमनियां (Arteries) ऑक्सीजन युक्त रक्त को आपके हृदय और शरीर के अन्य हिस्सों में ले जाती हैं।वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और रक्त में पाए जाने वाले अन्य पदार्थों से ‘प्लाक’ का निर्माण होता है। समय के साथ प्लाक आपकी धमनियों को कठोर और संकीर्ण बना देता है तथा यह आपके अंगों और शरीर के अन्य हिस्सों में ऑक्सीजन युक्त रक्त के प्रवाह को सीमित कर देता है।

एथेरोस्क्लेरोसिस विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जिनमें कोरोनरी धमनी, गुर्दे की धमनी, परिधीय धमनी, कैरोटिड धमनी शामिल हैं। एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण, इसके प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।एथेरोस्क्लेरोसिस बढ़ती उम्र से संबंधित एक सामान्य समस्या है। 40 वर्ष की आयु में गंभीर एथेरोस्क्लेरोसिस के विकास की 50% संभावनाएं होती हैं। उम्र के साथ जोखिम बढ़ जाता है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को एथेरोस्क्लेरोसिस की थोड़ी बहुत समस्या होती है, लेकिन इसके लक्षण अक्सर दिखाई नहीं देते हैं।

एथेरोस्क्लेरोसिस के लिए उपचार के कई विकल्प मौजूद हैं। इलाज न किये जाने पर इससे गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे – दिल का दौरा, स्ट्रोक या फिर मृत्यु। एथेरोस्क्लेरोसिस के उपचार के अंतर्गत जीवन शैली में भी बदलाव किया जा सकता है। इसके साथ ही साथ दवाओं और चिकित्सकीय प्रक्रियाओं की भी आवश्यकता हो सकती है।

आर्टेरिओस्क्लेरोसिस और एथेरोस्क्लेरोसिस अलग-अलग स्थितियां हैं, जिसे निम्नलिखित द्वारा समझा जा सकता है –

धमनी (Artery) की दीवारों का कठोर या सख्त होना आर्टेरिओस्क्लेरोसिस कहलाता है।जबकि, प्लाक के जमा होने के कारण धमनी के संकीर्ण होने को एथेरोस्क्लेरोसिस कहते हैं। इसप्रकार एथेरोस्क्लेरोसिस, आर्टेरिओस्क्लेरोसिस का ही एक विशिष्ट प्रकार है।एथेरोस्क्लेरोसिस के सभी मरीज़ों में आर्टेरिओस्क्लेरोसिस भी पाया जाता है, लेकिन आर्टेरिओस्क्लेरोसिस के मरीज़ों को एथेरोस्क्लेरोसिस हो, ऐसा जरूरी नहीं है। हालांकि, इन दोनों शब्दों को अक्सर एक ही अर्थ के लिए उपयोग किया जाता है।

एथेरोस्क्लेरोसिस के प्रारंभिक लक्षण किशोरावस्था के दौरान शुरू हो सकते हैं। ये धमनी की दीवार पर दिखाई देने वाली सफ़ेद रक्त कोशिकाओं की धारियों के रूप में भी विकसित हो सकते हैं। प्लाक के टूटने या रक्त प्रवाह के बहुत अधिक हो जाने तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। आमतौर पर ऐसा होने में कई साल लग जाते हैं।

एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि कौन-सी धमनियां इससे प्रभावित हुई हैं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं –

कैरोटिड धमनियां – रोगियों को स्ट्रोक हो सकता है और वे कमजोरी, साँस लेने में कठिनाई, सिरदर्द, चेहरे की सुन्नता, पक्षाघात (लकवा) का अनुभव कर सकते हैं।
कोरोनरी धमनियां – इसके कारण एनजाइना (सीने में दर्द) और दिल का दौरा पड़ सकता है। इसके लक्षणों में उल्टी, अत्यधिक चिंता, सीने में दर्द, खाँसी, बेहोशी शामिल हैं।
गुर्दे की धमनी – मरीज भूख की कमी, हाथों और पैरों में सूजन व ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई का अनुभव कर सकता है।
परिधीय धमनी रोग (Peripheral arterial disease) – पैर की मांसपेशियों में भारीपन, ऐंठन या शिथिल होने के कारण दर्द हो सकता है। अन्य लक्षणों में पैरों के बालों का झड़ना, पुरुष नपुंसकता (स्तंभन दोष), पैरों में सुन्नता, पैरों की त्वचा के रंग में परिवर्तन, पैर के अंगूठे के नाख़ून का मोटा होना और टांगों में कमजोरी शामिल हैं।

जीवन शैली में परिवर्तन करके एथेरोस्क्लेरोसिस को रोकने तथा इसका इलाज करने में मदद मिल सकती है। एथेरोस्क्लेरोसिस के प्रारंभिक चरण में आपके चिकित्सक जीवन शैली में बदलाव की सिफारिश कर सकते हैं। जीवन शैली में किये जाने वाले बदलावों में निम्नलिखित शामिल हैं –

स्वस्थ आहार खाना, जिसमें संतृप्त वसा (Saturated Fat) और कोलेस्ट्रॉल बहुत कम मात्रा में हों।
वसा युक्त खाद्य पदार्थों से बचना।
प्रतिदिन 30 से 60 मिनट तक व्यायाम करना।
यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो धूम्रपान की आदत को छोड़ना।
यदि आपका वजन अधिक है, तो अपना वजन कम करना।


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