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देश की इस बडी हस्ती का अचानक हुआ निधन, दुख में डूबे PM मोदी

  • संघ विचारक एमजी वैद्य का 97 वर्ष की उम्र में निधन
  • एमजी वैद्य ने शुक्रवार की शाम करीब 3:30 बजे अंतिम सांस ली.

स्वदेश केसरी व्यूरो

नागपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ स्वयंसेवक एमजी वैद्य का शुक्रवार को निधन हो गया. एमजी वैद्य का 97 साल की उम्र में नागपुर के स्पंदन अस्पताल में निधन हो गया. एमजी वैद्य ने शुक्रवार की शाम करीब 3:30 बजे अंतिम सांस ली. वे पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. वैद्य के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया है.

जानकारी के मुताबिक तबीयत बिगड़ने पर एमजी वैद्य को कुछ दिन पहले ही नागपुर के स्पंदन अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था. एमजी वैद्य का अंतिम संस्कार 20 दिसंबर को अंबाझरी घाट पर किया जाएगा. गौरतलब है कि वैद्य का पूरा नाम माधव गोपाल वैद्य था. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रवक्ता भी रह चुके हैं. एमजी वैद्य संघ के ऐसे स्वयंसेवक थे, जिसे अब तक के हर सरसंघचालक के साथ काम करने का अनुभव था.

पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि एमजी वैद्य एक प्रतिष्ठित लेखक और पत्रकार थे. उन्होंने दशकों तक आरएसएस में योगदान किया और बीजेपी को मजबूत करने के लिए भी काम किया. उनके निधन से दुखी हूं. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदना.

एमजी वैद्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पहले प्रवक्ता भी थे. वे ‘तरुण भारत’ के संपादक भी रहे. एमजी वैद्य ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर कई पुस्तकों का लेखन भी किया है. संघ में वैद्य का सम्मान था ही, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में भी उनका काफी सम्मान था. मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, एमजी वैद्य को पिता तुल्य मानती थीं.

‘राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के विचारों के साथ एमजी वैद्य ने संगठन को आगे बढ़ाया’
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संघ विचारक एमजी वैद्य के जन्मदिन पर उनका सम्मान करते हुए कहा था कि एमजी वैद्य ने आरएसएस के सम्मान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने विचारों और बौद्धिक विचारों से संगठन का मार्गदर्शन किया। वैद्य का योगदान अधिक विशेष था क्योंकि यह ऐसे समय में आए जब आरएसएस संकट का सामना कर रहा था। वैद्य आरएसएस के प्रमुख पदाधिकारियों में से एक थे जिन्होंने राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के विचारों के साथ संगठन को आगे बढ़ाया। भागवत ने कहा था कि हमें वैद्य से विचारों की विरासत मिली है।

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